NCERT Solutions for Class 4 Hindi Chapter 6 नाव बनाओ नाव बनाओ
(क) भैया ने क्या बहाना किया? क्यों?
उत्तर:
भैया ने कहा कि नाव बनाना उनके बस का काम नहीं है। दरअसल भैया आलस के कारण ऐसा बहाना कर रहे थे।
बूंदों-लहरों लड़ती-बढ़ती
(ख) कौन बूंदों और लहरों से लड़ते हुए आगे बढ़ रही है?
उत्तर:
रंग-बिरंगे कागजों से बनी नाव बूंदों और लहरों से लड़ते हुए आगे बढ़ रही है।
गुल्लक भारी, अपनी खोलो।
(ग) किसकी गुल्लक भारी है? किसकी गुल्लक हल्की है?
उत्तर:
भैया की गुल्लक भारी है। बच्चे की गुल्लक हल्की है।
नाव की कहानी
एक बार फिर से कविता पढ़ो। इस कविता में एक नाव के बनने और पानी में सफर करने की कहानी छिपी है। मान लो तुम ही वह नाव हो। अब अपनी कहानी सबको सुनाओ।
शुरुआत हम कर देते हैं।
मैं एक नाव हूँ। मैं काग़ज़ से बनी हूँ। मुझे एक लड़के ने बनाया। उसका नाम तो मुझे नहीं पता पर मुझे देखकर वह बहुत प्रसन्न हो गया। उसने मुझे बहते पानी में तैरा दिया। मैं पानी की लहरों के सहारे आगे बढ़ती जा रही थी और लड़का खुशी से चिल्ला रहा था। उसने मुझे बनाने में रंग-बिरंगे चमकीले कागजों का इस्तेमाल किया था। सचमुच मैं बहुत सुन्दर लग रही थी। लेकिन यह क्या? अचानक बारिश तेज हो गई। मैं इतनी भीग गई कि तैरने
लायक नहीं रही। और कुछ पौधों में फंस गई। लड़का मायूस हो गया।
अहा! बारिश!!
तुमने बरसात पर पहले भी कभी कोई कविता या लोकगीत सुना होगा। उसे नीचे दी गई जगह में लिखो।
उत्तर:
बरसात पर कविता
इस कविता को पढ़ते समय तुम्हारे मन में कई चित्र आए होंगे। उनके बारे में बताओ या उनका चित्र बनाओ।
उत्तर:
इस कविता को पढ़ते समय मेरे मन में जो चित्र आए उनका वर्णन इस प्रकार है-
बारिश हो रही है। बच्चे रंग-बिरंगे कागजों से नाव बनाने में व्यस्त हैं। जैसे ही कोई बच्चा नाव बना लेता है, दौड़ पड़ता है उसे पानी में छोड़ने के लिए। पानी की लहरों के साथ नाव आगे बढ़ती जाती है और बच्चा ठठाकर हँसता रहता है।
नोट-विद्यार्थी अपनी कल्पना के आधार पर चित्र बनाएँ।
सचमुच
पानी सचमुच खूब पड़ेगा।
सचमुच का इस्तेमाल करते हुए तुम भी दो वाक्य बनाओ।
उत्तर:
(क) रोहन सचमुच बहुत नटखट लड़का है।
(ख) तुम सचमुच बहुत अच्छे हो।
सात समुद्र
घिर-घर कर बादल लाया है,
सात समुंदर भर लाया है।
(क) पता करो, सात समुद्र कौन-कौन से होंगे जिनसे बादल पानी भरकर लाया है।
उत्तर:
सात समुद्रों के नाम-प्रशांत महासागर, हिंद महासागर, अटलाँटिक महासागर, उत्तर:ी ध्रुव महासागर, दक्षिणी ध्रुव महासागर, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी।
(ख) क्या सचमुच बारिश के बादल समुद्र से पानी लाते हैं? वे इतना सारा पानी कैसे लाते होंगे? आपस में बातचीत करके पता करो।
(तुम इस काम में बड़ों की या किताबों की मदद भी ले सकती हो।)
उत्तर:
हाँ, सचमुच बारिश के बादल समुद्र से पानी लाते हैं। दरअसल समुद्र का पानी सूर्य की रोशनी में भाप बनकर आकाश में चला जाता है। यही भाप ठंडी होकर पानी की बूंदों के रूप में धरती पर गिरती है, जिसे बारिश कहते हैं।
तरह-तरह की नावें।
तुम कागज़ से कितनी तरह की नाव बना सकते हो? बनाकर कक्षा में दिखाओ। उनमें से किसी एक के बारे में लिखकर बताओ कि तुमने वह कैसे बनाई।
उत्तर:
बच्चे इस काम को स्वयं करें। आई बरसात
(क) बरसात के दिनों में अक्सर घरों के दरवाजे और खिड़कियों से पानी की बौछार आ जाती है। कभी-कभी छत से पानी टपकता है, सीलन भी आ जाती है। ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए तुम्हारे घर में क्या-क्या किया जाता है?
उत्तर:
दरवाजे और खिड़कियों से पानी की बौछार न आए, इसके लिए हम उनके ऊपर शेड लगाते हैं। छत से पानी टपकना बंद करने के लिए हम छत की मरम्मत करवाते हैं। सीलन से बचने के लिए हम दीवारों पर प्लास्टिक पेंट लगवाते हैं।
(ख) बारिश के मौसम में गलियों और सड़कों पर भी पानी भर जाता है। तुम्हारे मोहल्ले और घर के आस-पास बारिश आने पर क्या-क्या होता है? बताओ।
उत्तर:
कभी-कभी जब मूसलाधार बारिश होती है तो मुहल्ले और घर के आसपास पानी भर जाता है। बाहर जाने में परेशानी होती है। गाड़ियाँ पानी में फँस जाती हैं।
काम वाले शब्द
(क) पिछले साल रिमझिम में तुमने पढ़ा था कि बनाना काम वाला शब्द होता है। काम वाले शब्दों को क्रिया कहते हैं। | इस कविता में ढेर सारी क्रियाएँ या काम वाले शब्द आए हैं। उन्हें छाँटो और नीचे लिखो।
उत्तर:
(ख) तुमने जो क्रियाएँ छाँटी हैं, वर्णमाला के हिसाब से उनके आगे 1, 2, 3 आदि लिखकर उन्हें क्रम में लगाओ।
उत्तर:
1. आना
2. खोलना
3. चलाना
4. छाना
5. छोड़ना
6. भरना
7. लहराना
8. लाना।
नाव बनाओ नाव बनाओ कविता का सारांश
बरसात का मौसम है। बारिश होने वाली है एक बच्चा अपने भैया से नाव बनाने को कहता है। वह कहता है कि आकाश में बादल छाए हुए हैं। उनमें (बादलों में) सात समुद्र का पानी भरा है। अतः वह अपने भैया से रस का सागर भर कर लाने को कहता है। उसे लगता है कि बारिश खूब होने वाली है। इसलिए वह काफी उत्तेजित है। वह भैया से गुल्लक से पैसे निकालकर नाव बनाने के लिए रंग-बिरंगा कागज लाने को कहता है। वह पानी में नाव तैराएगा और खुब खुश होगा। लेकिन भैया को बारिश और नाव में कोई रुचि नहीं है। वे बोल पड़ते हैं कि यह सब मेरे बस का नहीं है। बच्चा समझ जाता है कि उसके भैया आलस में ऐसा कह रहे हैं। अतः वह उनसे आलस छोड़कर जल्दी आने का अनुरोध कर रहा है।
काव्यांशों की व्याख्या
1. नाव बनाओ, नाव बनाओ।
भैया मेरे, जल्दी आओ॥
वह देखो, पानी आया है,
घिर-घर कर बादल छाया है,
सात समुंदर भर लाया है,
तुम रस का सागर भर लाओ।।
भैया मेरे, जल्दी आओ।।
पानी सचमुच खूब पड़ेगा,
लंबी-चौड़ी गली भरेगा,
लाकर घर में नदी धरेगा.
ऐसे में तुम भी लहराओ।
भैया मेरे, जल्दी आओ।
शब्दार्थ : धरेगा-रखेगा।
प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘रिमझिम भाग-4′ में संकलित कविता’ ‘नाव बनाओ नाव बनाओ’ से ली गई हैं। इसके रचयिता हैं-श्री हरिकृष्ण दास गुप्त।
व्याख्या-बरसात का मौसम है। आकाश बादलों से घिरा है। बारिश किसी भी समय हो सकती है। एक बच्चा बहुत उत्तेजित है बारिश के होने की संभावना पर। वह अपने भैया से नाव बनाने को कहता है। वह कहता है कि आकाश में बादल छाएँ हैं। उनमें सात समुद्र का पानी भरा हुआ है। वह पानी कभी भी धरती पर बारिश के रूप में गिर सकता है। वह भैया से कहता है कि वे भी रस का सागर भर कर लाएं। बच्चे को लगता है कि पानी खूब बरसेगा और लंबी-चौड़ी गलियों को भर देगा। घर में भी नदी बहा देगा। अतः वह भैया से जल्दी से नाव बनाने का अनुरोध करता है।
2. गुल्लक भारी, अपनी खोलो,
हल्की मेरी, नहीं टटोलो,
पैसे नए-नए ही रोलो,
फिर बाज़ार लपक तुम लाओ।
भैया मेरे, जल्दी आओ।।
ले आओ कागज़ चमकीला,
लाल-हरा या नीला-पीला,
रंग-बिरंगा खूब रंगीला,
कैंची, चुटकी, हाथ चलाओ।
भैया मेरे, जल्दी आओ।
शब्दार्थ : गुल्लक-पैसे जमा करने के लिए मिट्टी का बॉक्स। टटोलो-खोजो। रोलो-लुढ़काओ। लपक-झटके, कदम। ।
प्रसंग-पूर्ववत् ।
व्याख्या-बच्चा अपने भैया से नाव बनाने का आग्रह करता है। वह कहता है कि तुम अपनी गुल्लक से पैसे निकालो क्योंकि तुम्हारी गुल्लक भारी है अर्थात् उसमें अधिक पैसे हैं। मेरी गुल्लक हल्की है क्योंकि उसमें पैसे बहुत कम हैं। अपने । गुल्लक से नए-नए पैसे लुढ़काते हुए निकाल लो और जल्दी से बाजार जाओ। वहाँ से लाल-हरा, या नीला-पीला चमकीला कागज ले आओ। फिर कैंची से फटाफट इन रंग-बिरंगे कागजों को काटकर नाव बना दो। बच्चा अपने भैया से फिर जल्दी करने का आग्रह करता है।
3. छप-छप कर कूड़े से अड़ती,
बूंदों-लहरों लड़ती-बढ़ती,
सब की आँखों चढ़ती-गढ़ती
नाव तैरा मुझको हर्षाओ।
भैया मेरे, जल्दी आओ।
क्या कहते? मेरे क्या बस का?
क्यों? तब फिर यह किसके बस का?
खोट सभी है बस आलस का,
आलस छोड़ो सब कर पाओ।
भैया मेरे, जल्दी आओ।
शब्दार्थ : हर्षाओ-खुश कर दो। खोट-दोष। प्रसंग-पूर्ववत् ।।
व्याख्या-बच्चा अपने भैया से कहता है कि मेरे लिए जल्दी से नाव बना दो। नाव छप-छप कर कूड़े से अड़ती हुई, बारिश की बूंदों और पानी की लहरों से लड़ती हुई आगे बढ़ती जाती है। भैया जल्दी से नाव तैराकर मुझे प्रसन्न कर दो। भैया जल्दी आ जाओ। लेकिन भैया की रुचि कागज लाकर नाव बनाने में नहीं है। वे कहते हैं कि यह काम मेरे बस का नहीं इसपर बच्चा उनसे पूछता है कि अगर यह उनके बस का नहीं है तो फिर किसके बस का है। बच्चो अच्छी तरह जानता है कि भैया बहाना कर रहे हैं। दरअसल वे आलस के कारण ऐसा कह रहे हैं। वह एकबार फिर भैया से आग्रह करता है-भैया आलस छोड़ो और जल्दी से बाजार जाओ और वहाँ से कागज लाकर मेरे लिए नाव बना दो।